संकट मोचन मंदिर (Sankat Mochan Temple) की स्थापना वर्ष 1950 में प्रसिद्ध संत नीब करौरी बाबा द्वारा की गई थी। यह मंदिर भगवान श्री हनुमान जी को समर्पित है और शिमला के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। जाखू मंदिर के बाद यह हनुमान जी का दूसरा सबसे प्रसिद्ध स्थल माना जाता है।
संकट मोचन मंदिर (Sankat Mochan Temple), शिमला के नेशनल हाईवे 22 (NH-22) पर स्थित है, जिसे कालका-शिमला हाईवे के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर शिमला ओल्ड बस स्टैंड से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
इस मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 21 जून 1966 को हुई थी। शांत वातावरण, हरियाली से घिरा परिसर और भगवान हनुमान जी की दिव्यता इस स्थान को अत्यंत श्रद्धा और आस्था का केंद्र बनाती है।

संकट मोचन मंदिर का निर्माण
नीब करौरी बाबा जब इस पवित्र स्थान पर आए, तो उन्होंने शांत वन क्षेत्र में 10 दिन का समय साधना और ध्यान में बिताया। इसी दौरान उनके मन में यह प्रेरणा आई कि यहाँ एक भव्य हनुमान मंदिर बनना चाहिए। उन्होंने यह विचार अपने भक्तों से साझा किया, जिसके बाद 1962 में तत्कालीन उपराज्यपाल श्री बजरंग बहादुर सिंह और अन्य श्रद्धालुओं ने मंदिर निर्माण का कार्य आरंभ किया। यह मंदिर भगवान राम, सीता, लक्ष्मण, भगवान शिव और भगवान गणेश को भी समर्पित है।
उस समय मंदिर परिसर में नीब करौरी बाबा का मंदिर नहीं था। बाद में, 10 अप्रैल 1995 को हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री वीरभद्र सिंह ने नीब करौरी बाबा के मंदिर की आधारशिला रखी।
निर्माण कार्य पूरा होने के पश्चात, 25 मार्च 1999 को रामनवमी के पावन अवसर पर “संकट मोचन मंदिर” (Sankat Mochan Temple) का भव्य उद्घाटन किया गया।
मंदिर के पास स्थित “चरक वाटिका” नामक सुंदर पार्क हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा संचालित है, जो बच्चों और परिवारों के लिए घूमने व खेलने का लोकप्रिय स्थान है।
“संकट मोचन” का अर्थ है — संकट दूर करने वाला या कठिनाइयों से मुक्ति दिलाने वाला। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि यहाँ भगवान हनुमान की पूजा करने से उनकी हर मनोकामना पूरी होती है।
संकट मोचन मंदिर का प्रसिद्ध लंगर
संकट मोचन मंदिर (Sankat Mochan Temple), शिमला में हर रविवार को लंगर का आयोजन किया जाता है, जो शिमला के सबसे प्रसिद्ध लंगरों में से माना जाता है। यह आयोजन मंदिर ट्रस्ट द्वारा किया जाता है, लेकिन श्रद्धालु भी स्वयं लंगर का आयोजन कर सकते हैं।
लंगर के आयोजन के लिए पहले से बुकिंग करानी होती है। हर महीने लगभग 6 से 7 लंगर की बुकिंग होती है। लंगर के दौरान दो प्रकार के व्यंजन परोसे जाते हैं और यदि कोई श्रद्धालु यहाँ लंगर करवाना चाहे तो उसकी लागत भी बहुत उचित रखी गई है।
- पहाड़ी धाम के व्यंजनों की लागत लगभग 15,000 से 20,000 रुपये होती है।
- कांगड़ी धाम की लागत लगभग 20,000 से 25,000 रुपये होती है।
ये व्यंजन लगभग 3,000 से 4,000 श्रद्धालुओं के लिए पर्याप्त होते हैं।
इसके अतिरिक्त, भक्त हर मंगलवार को मात्र 1,100 रुपये में हलवा प्रसाद भी चढ़ा सकते हैं। यह सेवा भक्तों को भक्ति और सेवा के माध्यम से मंदिर से जुड़ने का एक सुंदर अवसर प्रदान करती है।
संकट मोचन मंदिर में विवाह हॉल की सुविधा भी उपलब्ध है। ये विवाह हॉल किराये पर दिए जाते हैं, और इसके लिए मामूली शुल्क लिया जाता है।
कई परिवार अपने विवाह समारोह मंदिर परिसर में ही संपन्न करते हैं। इच्छुक परिवार ₹3500 प्रति दिन का भुगतान करके विवाह हॉल, अतिरिक्त कमरे और बर्तन बुक कर सकते हैं।
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संकट मोचन मंदिर के प्रमुख उत्सव
संकट मोचन मंदिर में वर्षभर कई प्रमुख हिंदू त्योहार बड़े हर्ष और उत्साह के साथ मनाए जाते हैं। इनमें रामनवमी और दशहरा सबसे विशेष माने जाते हैं।
रामनवमी के दिन मंदिर में विशेष पूजा, हवन और भव्य सजावट होती है। श्रीराम की प्रतिमा को सुंदर वस्त्रों और आभूषणों से सजाया जाता है। शाम को मंदिर परिसर में रामायण के पात्र—रावण, कुंभकर्ण
और मेघनाथ—के विशाल पुतलों का दहन किया जाता है। इन पुतलों को मेरठ के कारीगर विशेष रूप से तैयार करते हैं। पुतला दहन के समय स्थानीय रामलीला मंडली भगवान राम और लक्ष्मण का वेश धारण कर बाण चलाकर इन्हें अग्नि प्रदान करती है, जिसे देखने के लिए भारी भीड़ उमड़ पड़ती है।
विनायक चतुर्थी भी यहाँ बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। हर साल सितंबर में आयोजित होने वाला यह दस दिवसीय उत्सव भक्तों और पर्यटकों दोनों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इन दिनों मंदिर परिसर में भक्ति, संगीत और उल्लास का अद्भुत वातावरण बना रहता है।
संकट मोचन मंदिर के पास स्थित प्रमुख तीर्थ स्थल:
- जाखू मंदिर
- काली बाड़ी मंदिर
- तारा देवी मंदिर
- धिंगू माता मंदिर