हिमाचल प्रदेश के हिन्दू तीर्थ स्थल

देवभूमि हिमाचल प्रदेश के प्रमुख हिन्दू तीर्थ स्थल

हिमाचल प्रदेश  भौगोलिक स्थिति और जनसंख्या

हिमाचल प्रदेश भारत के उत्तरी भाग (northern part) में पश्चिमी हिमालय की श्रृंखलाओं में स्थित एक पर्वतीय राज्य है। यह देश का सबसे उत्तरी राज्य है, जिसकी उत्तर में जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख , पश्चिम में पंजाब, दक्षिण-पश्चिम में हरियाणा, दक्षिण-पूर्व में उत्तराखंड, और दक्षिण में उत्तर प्रदेश से सीमाएँ लगती हैं।

हिमाचल प्रदेश की अनुमानित जनसंख्या लगभग 75 लाख (7.5 मिलियन) है।

कृषि-प्रधान इस पर्वतीय प्रदेश में सेब की खेती का विशेष महत्व है – यहाँ प्रतिवर्ष लगभग 5.5 लाख मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होता है। यह देश में दूसरा सबसे बड़ा सेब उत्पादक राज्य है।

देवभूमि हिमाचल आध्यात्मिक महत्त्व एवं परंपराएँ

पर्वतीय सौंदर्य के साथ हिमाचल प्रदेश की संस्कृति और आध्यात्मिकता भी मोहक है। परंपरागत रूप से हिमाचल को ‘देवभूमि’ कहा जाता है, क्योंकि पुराणों में इसे देवताओं की वासस्थली माना गया है। वास्तव में, यहाँ दो हजार से अधिक मंदिर हैं। हर घाटी-गाँव में स्थानीय देवी-देवताओं को समर्पित मंदिर मिलेंगे और हर मंदिर की अपनी एक लोककथा है।कई स्थानों पर चमत्कारी घटनाएँ आज भी लोगों की आस्था को अडिग बनाए रखती हैं। ज्वालामुखी में स्वयं प्रज्वलित अग्नि हो या कुल्लू के देवता की पालकी  यह भूमि देवताओं की जीवंत उपस्थिति से पवित्र है। 

हिमाचल प्रदेश के सभी मंदिरों की सूची ज़िलेवार (district-wise)

1. शिमला जिला

 हिमाचल की देवभूमि में कई पावन तीर्थ हैं, जिनमें कुछ प्रख्यात मंदिर इस प्रकार हैं:

1.तारा देवी मंदिर

तारा देवी मंदिर, शिमला के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मंदिर माता तारा को समर्पित है,समुद्र तल से लगभग 7200 फीट की ऊँचाई पर स्थित यह मंदिर काठ-कुनी शैली में बना है और प्रकृति की सुंदरता के बीच दिव्यता का अनुभव कराता है। दशहरा और दुर्गा अष्टमी के अवसर पर यहाँ हज़ारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।

2.जाखू मंदिर 

जाखू मंदिर शिमला की सबसे ऊँचाई पर स्थित प्रसिद्ध हनुमान मंदिर है। यहाँ रामायण काल से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार हनुमान जी ने संजीवनी बूटी के मार्ग में विश्राम किया था। मंदिर में स्थापित 108 फीट ऊँची हनुमान प्रतिमा दूर से ही दिखाई देती है।

3 काली बाड़ी मंदिर

काली बाड़ी मंदिर, शिमला में स्थित एक प्राचीन और पवित्र स्थल है जो देवी काली के श्यामला रूप को समर्पित है।यह मंदिर 1845 में राम चरण ब्रह्मचारी द्वारा स्थापित किया गया था और इसकी वास्तुकला बंगाल की देउला शैली से प्रेरित है।शिमला शहर का नाम भी इसी ‘श्यामला माता’ के नाम पर पड़ा है, जो इस स्थल की ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता को दर्शाता है।

4. भीमा काली मंदिर

हिमाचल प्रदेश के शिमला से लगभग 180 किमी दूर सराहन में स्थित भीमाकाली मंदिर वही पवित्र स्थान है जहाँ देवी सती का कान गिरा था, और इसी कारण इसे शक्तिपीठ का दर्जा प्राप्त है।भीमाकाली मंदिर सिर्फ एक शक्तिपीठ नहीं, बल्कि रहस्यमय सुरंगों और झुककर फिर सीधा हो चुके शिखर वाली चमत्कारी वास्तुकला का जीता-जागता उदाहरण है।

5. संकट मोचन  मंदिर 

1950 में नीम करौली बाबा द्वारा स्थापित, यह हनुमान मंदिर शिमला के प्राकृतिक जंगलों में स्थित है और यहाँ से पूरे शहर का शानदार नजारा दिखता है। हर मंगलवार और शनिवार को श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है, जहां पूजा के साथ बड़े भंडारे भी होते हैं।

6. हाटकोटी मंदिर

पांडवों द्वारा बनाया गया हाटकोटी मंदिर, शिमला से करीब 84 किलोमीटर दूर पब्बर नदी के किनारे स्थित है। यहाँ महिषासुर मर्दिनी की विशाल कांस्य प्रतिमा और प्राचीन वास्तुकला देखने को मिलती है।

7. हाटू माता  मंदिर

पांडवों द्वारा बिताए गए अज्ञात वास की जगह, हाटू माता मंदिर शिमला से 71 किमी दूर स्थित है।

2. सोलन जिला

1.शूलिनी देवी मंदिर

शूलिनी देवी मंदिर सोलन का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है।, जहां माँ शूलिनी ने भगवान शिव के साथ मिलकर क्रोधित नरसिंह को शांत किया। हर साल जून में यहां भव्य शूलिनी मेला धूमधाम से मनाया जाता है।

2. मोहन शक्ति हेरिटेज पार्क

मोहन शक्ति राष्ट्रीय हेरिटेज पार्क हिमाचल की पहाड़ियों में एक ऐसा अनोखा स्थल है, जहां वैदिक ऋषि, देवी-देवताओं की मूर्तियां और भारतीय संस्कृति की जीवंत कहानियां देखने को मिलती हैं।

3. काली का टिब्बा – Chail 

काली का टिब्बा शिमला के पास माँ काली को समर्पित एक प्रसिद्ध मंदिर है, जहां से खूबसूरत घाटियों का मनोरम नजारा दिखाई देता है।

4 जाटोली शिव मंदिर 

एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर, जाटोली शिव मंदिर, जिसकी ऊंचाई लगभग 122 फीट है। यहाँ के पत्थरों को थपथपाने पर डमरू जैसी आवाज़ सुनाई देती है।

5. लुटरू महादेव मंदिर 

अर्की तहसील की रहस्यमयी गुफा में स्थित लुटरू महादेव मंदिर में शिवलिंग पर सूर्य की किरणें पड़ती हैं और पुजारी भगवान शिव को सिगरेट का भोग अर्पित करते हैं।

3. सिरमौर जिला

1. चूड़धार मंदिर

  14 km का बेहद सुंदर ट्रैक, जो श्री शिरगुल महाराज (चूरेश्वर महाराज) को समर्पित है, महादेव के सबसे सरल और आकर्षक ट्रैकों में गिना जाता है।

2. माँ भंगायनी मंदिर

माँ भंगायनी सिरमौर जिले की सबसे शक्तिशाली देवी मानी जाती हैं। स्थानीय लोग मानते हैं कि यहाँ जो भी कुछ मांगता है, माँ भंगायनी उसे जरूर देती हैं।

रेणुका माता मंदिर

जहाँ झील का निर्माण माता रेणुका के प्राणों की आहुति से हुआ था, वे महर्षि जमदग्नि की पत्नी और भगवान परशुराम की माता मानी जाती हैं।

4 त्रिलोकपुर मंदिर – माँ बालासुंदरी

त्रिलोकपुर मंदिर वो स्थान है जहाँ एक व्यापारी की नमक की बोरी से माता बालासुंदरी स्वयं प्रकट हुई थीं। यहाँ देवी दुर्गा के बाल स्वरूप की पूजा होती है।

यह भी पढ़ें : सनकादि ऋषि: ब्रह्मा के चिरंजीवी पुत्र

 4. किन्नौर जिला

1. किन्नेर  कैलाश 

किन्नर कैलाश जिसकी चोटी पर 79 फुट ऊँचा प्राकृतिक शिवलिंग है  यहाँ पास में पार्वती कुंड है, जहाँ माता पार्वती ने तपस्या की थी, और कहा जाता है कि यहाँ प्रतिवर्ष देवताओं की सभा होती थी।

2. चंडिका देवी मंदिर

किन्नौर के कोठी गांव में स्थित चंडिका देवी मंदिर, शुवांग चंडिका के रूप में प्रसिद्ध है, जहाँ देवी की अनोखी पूजा में चार लोग स्वर्ण मूर्ति को नाचते हुए उठाते हैं।

3. माथी देवी मंदिर

माथी देवी मंदिर चित्रकुल गाँव की रक्षक देवी शीरोमणि माथी को समर्पित है, जहाँ लकड़ी की अनोखी कारीगरी देखने को मिलती है।

5. लाहौल और स्पीति जिला

1. त्रिलोकिनाथ मंदिर : जहाँ हिंदू और बौद्ध दोनों धर्मों के लोग भगवान शिव और अरहंत बुद्ध रूप में एक ही देवता की पूजा करते हैं।

6. मंडी जिला

1. त्रिलोकीनाथ मंदिर 

मंडी का त्रिलोकिनाथ मंदिर अपनी तीन मुखों वाली शिव प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है, जिसे “तीनों लोकों के स्वामी” के रूप में पूजा जाता है।

2.भूतनाथ मंदिर

बाबा भूतनाथ मंदिर मंडी का लगभग 500 साल पुराना शिव मंदिर है, जहाँ आज भी शिवलिंग पर माखन का घृत कंबल चढ़ाने की अनोखी परंपरा जीवित है।

3.शिकारी देवी मंदिर 

मंडी की सबसे ऊँची चोटी पर स्थित है, वो रहस्यमयी मंदिर जिसकी छत कभी पूरी नहीं बनी और अब भी इसी स्वरूप में पूजित होता है।

4. पंचवक्त्र मंदिर

पंचवक्त्र मंदिर मंडी में नदियों के संगम पर स्थित, भगवान शिव के पाँच मुखों वाली अनोखी मूर्ति और शिखर शैली की भव्य वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है।

5.माहू नाग मंदिर

भगवान कर्ण को समर्पित एक प्राचीन पहाड़ी मंदिर है जहां कहा जाता है कि भक्तों की मदद के लिए कर्ण “महु” (मधुमक्खी) का रूप धारण कर तुरंत सहायता करते हैं।

6.प्रशर झील

प्रशर झील, जहाँ तैरता हुआ द्वीप रात में अपना स्थान बदलता है और जिसकी गहराई आज तक रहस्य बनी हुई है।

7. Kullu District

1.  हिडिंबा देवी 

मनाली की वादियों में स्थित यह अनोखा मंदिर माँ हिडिंबा देवी को समर्पित है, जो एक विशाल प्राकृतिक शिला पर निर्मित है और जहां आज भी उनके चरणचिह्न पूजे जाते हैं।

2. बिजली  महादेव 

हिमाचल के कुल्लू में स्थित बिजली महादेव मंदिर वह चमत्कारी स्थान है जहाँ हर 12 साल में शिवलिंग पर आकाशीय बिजली गिरती है और गांववाले उसे मक्खन से जोड़ते हैं।

3.मणिकरण

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में स्थित मनिकरण वह पवित्र स्थान है जहाँ उबलते पानी में लंगर पकाया जाता है और इसे भक्त प्रसाद रूप में ग्रहण करते हैं।

रघुनाथ मंदिर 

हिमाचल के कुल्लू में स्थित रघुनाथ मंदिर भगवान राम को समर्पित है, जिसे राजा जगत सिंह ने अपने प्रायश्चित के रूप में 17वीं शताब्दी में बनवाया था।

5. हनोगी माता मंदिर

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में स्थित हनोगी माता मंदिर एक पहाड़ी पर बसा है, जहाँ से नीचे बहती नदी और चमत्कारी मान्यताओं के कारण यहां से गुजरते वाहन भी रुककर माता के दर्शन करते हैं।

6 श्रीखंड महादेव यात्रा

हिमाचल की सबसे कठिन ट्रेक यात्रा श्रीखंड महादेव , जहाँ जाने के लिए ग्लेशियर और नालों से होकर गुजरना पड़ता है।

8. Bilaspur District

1. नैना देवी मंदिर

हिमाचल में शिवालिक पहाड़ों पर स्थित एक प्राचीन और भव्य शक्ति पीठ है, जहाँ देवी सती के नेत्र गिरे थे और यह नौ देवी यात्राओं में छठवां स्थल माना जाता है।

2. Dewrani Jethani Temple

Talagaon में स्थित Devrani-Jethani मंदिर अपने अनोखे Kalpurush मूर्ति और प्राचीन नक्काशियों के कारण इतिहास प्रेमियों और पर्यटकों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है।

3 डिडनेश्वरी मंदिर 

डिडनेश्वरी मंदिर की मूर्तिकला काले ग्रेनाइट पत्थर में उकेरी गई 11वीं सदी की अद्भुत कला के लिए प्रसिद्ध है, जिसकी मूर्ति से निकलती है अनोखी ध्वनि।

4 महर्षि मार्कण्डेय मंदिर

मार्कंडेय ऋषि मंदिर का पवित्र झरना वह स्थान है, जहाँ भगवान शिव ने ऋषि मार्कंडेय को प्रकट होकर जीवनदान दिया था, और यहाँ स्नान करने से तुरंत शारीरिक लाभ मिलता है।

9. Kangra District

1.ज्वाला देवी

ज्वाला देवी शक्तिपीठ वह दिव्य स्थल है जहाँ 24 घंटे बिना तेल या दीपक के हमेशा  जोत  जलती रहती है।

2. वज्रेश्वरी  देवी

जहाँ देवी वज्रेश्वरी ने इंद्र के वज्र को निगलकर राक्षसों का वध किया, वहीं आज भी 21 गर्म जलकुंड देवी की शक्ति के प्रमाण के रूप में उबलते हैं।

3.बगलामुखी मंदिर 

दस महाविद्याओं में आठवीं महाविद्या हैं माँ बगलामुखी, जिन्हें “स्तंभन शक्ति” की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। ये देवी विशेष रूप से तंत्र-मंत्र की बाधाओं को काटने और शत्रुओं पर विजय पाने के लिए पूजी जाती हैं।

4. बैजनाथ मंदिर

जहाँ रावण ने शिव को लंका ले जाने का वर पाया था, लेकिन एक भूल के कारण भगवान शिव वहीं विराजमान हो गए – और तभी से यह स्थान बैजनाथ (वैद्यनाथ) के नाम से प्रसिद्ध है।

5.चामुंडा देवी मंदिर

धौलाधार पर्वतमाला की गोद में स्थित चामुंडा देवी मंदिर वह पवित्र स्थल है जहाँ देवी ने चंड-मुंड राक्षसों का वध किया था — और तभी से माँ को “चामुंडा” कहा जाने लगा।

6 भागसु नाग मंदिर

मैक्लॉडगंज के पास स्थित भागसूनाथ शिव मंदिर अपनी प्राचीन वास्तुकला, दो चमत्कारी जल कुंडों और नाग देवता की कथा के कारण विशेष श्रद्धा का केंद्र है।

10. chamba district

1. लक्ष्मी नारायण मंदिर

10वीं सदी में राजा साहिल वर्मन द्वारा निर्मित जिसमें भगवान विष्णु की दुर्लभ संगमरमर की मूर्ति और छह मंदिरों का परिसर शामिल है।

2.  चौअसी मंदिर 

84 शिव मंदिरों का अद्भुत समूह है,  जिसे राजा मेरु वर्मन ने 7वीं सदी में 84 सिद्ध योगियों के सम्मान में बनवाया था । 

3 शक्ति देवी मंदिर  छतराड़ी 

 यहाँ  देवी शक्ति की पूजा होती है और यह अपनी विशिष्ट हिमाचली लकड़ी की नक्काशी और नवरात्रि के भव्य उत्सव के लिए प्रसिद्ध है।

11. Hamirpur District

1. बाबा बालक नाथ

बाबा बालक नाथ मंदिर देओतसिद्ध एक रहस्यमयी प्राकृतिक गुफा में स्थित है, जहाँ चैत मास का महोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है।

2. गसोता महादेव मंदिर

यहाँ शिवलिंग का स्वरूप स्वयंभू माना जाता है और  यहाँ  भीम ने गदा के प्रहार से जल स्रोत निकाला था।

3. टौणी देवी  मंदिर

जो सुन नहीं सकती थी, वही अपनी तपस्या और शक्ति से इस क्षेत्र की रक्षक बनीं — आज वे टौणी देवी के रूप में पूजित हैं, जिन्हें चौहान वंश की कुल देवी माना जाता है।

12. Una District

1. चिंतपूर्णी माता मंदिर

यहां माता सती के चरण गिरे थे सच्चे मन से की गई प्रार्थना हर चिंता को हर लेती है — इसीलिए माता को “चिंतापूर्णी” कहा जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *