चंबा जिले के भरमौर में स्थित चौरासी मंदिर

Chaurasi Temples Bharmour

WhatsApp Group Join Now
Telegram Channel Join Now

हिमाचल प्रदेश को देवभूमि यूं ही नहीं कहा जाता। यहां की प्राकृतिक सुंदरता के साथ ही यहां मौजूद पौराणिक धरोहरें और मंदिर श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं। लेकिन कुछ मंदिर ऐसे भी हैं जहां रात के अंधेरे में रुकने का साहस हर किसी में नहीं होता। कहा जाता है कि इन जगहों पर आत्माओं का वास है, और स्थानीय लोग मानते हैं कि यहां यमराज स्वयं विराजमान हैं।

भरमौर, हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में स्थित चौरासी मंदिर परिसर न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि यहां की कहानियां और मान्यताएं भी रहस्यमय हैं। यहीं स्थित है दुनिया का एकमात्र यमराज मंदिर, जहां आत्माओं के कर्मों का हिसाब लिया जाता है और निर्णय होता है कि किसे स्वर्ग मिलेगा और किसे नरक।

यमराज मंदिर का रहस्य

चौरासी मंदिर का निर्माण राजा साहिल वर्मन ने करीब 1400 साल पहले 84 सिद्ध योगियों के सम्मान में करवाया था। यहाँ के स्थानीय पंडितों के अनुसार, यहाँ कई चमत्कारिक घटनाएं घट चुकी हैं। एक पंडित जी ने बताया कि एक बार उन्होंने किसी को लिफ्ट दी, जो कुछ दिन पहले मर चुका था। ऐसी ही एक और कहानी है, जिसमें एक मृत व्यक्ति रोज़ मंदिर आता था।

मंदिर परिसर में यमराज और चित्रगुप्त की कचहरी होती है। यहाँ आत्मा के कर्मों का लेखा-जोखा लिया जाता है, और आत्मा को उनके कर्मों के आधार पर स्वर्ग या नर्क में भेजा जाता है। यमराज की अदालत में न्याय का तराजू कभी झूठ नहीं बोलता, यहाँ न्याय पूर्ण और निष्पक्ष होता है।

अदृश्य दरवाजों का रहस्य

इस मंदिर में चार अदृश्य दरवाजे हैं, जिन्हें केवल आत्माएं देख सकती हैं। यमराज के फैसले के बाद, आत्मा को इन दरवाजों में से एक से गुजरने का आदेश मिलता है। सोने का दरवाजा स्वर्ग के लिए और लोहे का दरवाजा नर्क की यात्रा के लिए खुलता है।

84 मंदिरों की परिक्रमा और मोक्ष की राह

मंदिर के नाम के पीछे भी एक पौराणिक कथा है। कहा जाता है कि भगवान शिव ने 84 लाख योनियों का विधान किया और ब्रह्मा जी को एक गलती के लिए श्राप दिया था। 84 मंदिरों की परिक्रमा करने से व्यक्ति को 84 लाख योनियों से मुक्ति मिलती है।

धार्मिक मान्यताएं और परंपराएं

मणिमहेश यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह मंदिर परिसर सबसे बड़ा पड़ाव है। यहां से गुजरने वाले साधु भी मणिमहेश जाने से पहले रुकते हैं। यहां एक प्राचीन बावड़ी के किनारे विष्णु चरणों के निशान भी देखे जा सकते हैं, जिनका जनमाष्टमी पर विशेष पूजन किया जाता है।

निष्कर्ष

चौरासी मंदिर और यमराज के इस पवित्र स्थल की कहानियां हिमाचल की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा हैं। इन अद्भुत मंदिरों और रहस्यों की जानकारी आपको इस यात्रा पर जाने से पहले मिलनी चाहिए। ऐसी और रोचक जानकारी के लिए हमारे चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *