maa baglamukhi konsi mahavidya hai

मां बगलामुखी कौन सी महाविद्या हैं? जानिए शास्त्रों के अनुसार उनकी असली पहचान

भारत की तंत्र साधना परंपरा में दस महाविद्याएं अत्यंत शक्तिशाली और रहस्यमयी देवी स्वरूप मानी जाती हैं। इन दसों महाविद्याओं में प्रत्येक देवी का एक विशेष उद्देश्य, स्वरूप और तांत्रिक महत्व होता है। इन्हीं में से एक हैं माँ बगलामुखी। परंतु, शास्त्रों के अनुसार माँ बगलामुखी कौन सी देवी हैं? क्या वह केवल एक तांत्रिक शक्ति हैं या उससे कहीं अधिक?

हम विस्तार से जानेंगे माँ बगलामुखी का रहस्य, उनका स्थान दस महाविद्याओं में, तांत्रिक महत्व और शास्त्रीय प्रमाण।

माँ बगलामुखी: नाम का अर्थ और रहस्य

‘बगलामुखी’ नाम दो शब्दों से मिलकर बना है:

  • “बगला” — संस्कृत में यह शब्द ‘वल्गा’ (घोड़े की लगाम) से उत्पन्न है, जिसका अर्थ होता है नियंत्रण।
  • “मुखी” — अर्थात जिसका चेहरा या स्वरूप हो।

अर्थ: माँ बगलामुखी वह शक्ति हैं जो शत्रु, बाधा, बीमारी और अन्याय पर नियंत्रण रखती हैं।

माँ बगलामुखी को ‘स्तम्भन की देवी’ कहा गया है — यानी जो शत्रु की वाणी, शक्ति और बुद्धि को स्थिर कर देती हैं।

माँ बगलामुखी का पीला रंग और धार्मिक महत्व

स्थानीय पुजारियों के अनुसार, माँ बगलामुखी का पसंदीदा रंग पीला है, जो उनकी उत्पत्ति से जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि माँ की उत्पत्ति हल्दी के झील (gheel) से हुई थी, जिसके कारण उन्हें पीताम्बरी भी कहा जाता है। पीला रंग शुभता, पवित्रता और प्रचुरता का प्रतीक है, और इसलिए मंदिर में हर वस्तु, जैसे कि वस्त्र, प्रसाद, मौली और आसन भी पीले रंग के होते हैं।

शास्त्रों में माँ बगलामुखी का उल्लेख

तंत्र शास्त्र:

बगला देवी महाविद्या स्तम्भन शक्ति की अधिष्ठात्री देवी हैं।
तंत्र चूड़ामणि ग्रंथ

 माँ बगलामुखी शत्रु की वाणी और बुद्धि को निष्क्रिय कर देती हैं।

मंदिर की विशेषताएँ

माँ बगलामुखी मंदिर की कई विशेषताएँ इसे अन्य मंदिरों से अलग बनाती हैं। यहाँ देवी बगलामुखी एक स्वर्ण सिंहासन पर विराजमान हैं, जिनके स्तंभ विभिन्न रत्नों से सजाए गए हैं। उनकी तीन आंखें हैं, जो दर्शाती हैं कि वह भक्तों को परम ज्ञान प्रदान कर सकती हैं। मूर्ति के दाहिने और बाएँ ओर लक्ष्मी और सरस्वती की मूर्तियाँ भी हैं।

मंदिर का मुख्य द्वार और गर्भगृह विशेष रूप से आकर्षक हैं। देवी बगलामुखी की मूर्ति पीले वस्त्रों में अलंकृत है, और उनकी मुद्रा शत्रुनाश और तांत्रिक साधना का प्रतीक है। मंदिर का पुनर्निर्माण 1815 में किया गया था।

मदन राक्षस की कथा

एक कथा में बताया गया है कि मदन नामक राक्षस ने वाक-सिद्धि प्राप्त की थी, जिसके द्वारा वह जो कुछ भी कहता था, वह सच हो जाता था। उसने इस शक्ति का दुरुपयोग मनुष्यों को परेशान करने और लोगों की हत्या करने के लिए किया। देवताओं ने माँ बगलामुखी से प्रार्थना की। देवी ने राक्षस की जीभ पकड़ ली और उसकी शक्ति को स्थिर कर दिया। मदन ने देवी से अनुरोध किया कि उसकी पूजा उनके साथ की जाए; देवी ने उसे मारने से पहले यह वरदान दिया।

यह भी पढ़े: धर्मराज मंदिर भरमौर: जहाँ मृत्यु के बाद आत्माओं को धर्मराज सुनाते हैं फैसला

दस महाविद्याओं में माँ बगलामुखी का स्थान

दस महाविद्याओं में निम्नलिखित देवी आती हैं:

  1. काली
  2. तारा
  3. त्रिपुरसुंदरी
  4. भुवनेश्वरी
  5. भैरवी
  6. छिन्नमस्ता
  7. धूमावती
  8. बगलामुखी
  9. मातंगी
  10. कमला

 स्थान: माँ बगलामुखी का स्थान आठवाँ है।

 तांत्रिक साधना और बगलामुखी

उन्हें “तांत्रिकों की प्रिय देवी” कहा जाता है।

विशेषकर वकील, नेता, और व्यापारी माँ बगलामुखी की साधना करते हैं ताकि वाणी में प्रभाव, शत्रुओं पर नियंत्रण और वाद-विवाद में विजय प्राप्त हो सके।

उनकी पूजा के लिए पीले वस्त्र, हल्दी, और विशेष स्तम्भन मंत्रों का प्रयोग किया जाता है।

माँ बगलामुखी की शक्ति: शत्रु पर नियंत्रण

शास्त्रों के अनुसार, माँ बगलामुखी शत्रु के कर्म, वाणी और विचारों को स्थिर करके उसे निष्क्रिय बना देती हैं।

उनकी शक्ति का प्रयोग सद्भावना और धार्मिक उद्देश्यों के लिए करना अनिवार्य बताया गया है, अन्यथा यह विपरीत प्रभाव डाल सकती है।

 प्रमुख बगलामुखी मंदिर

1. बगलामुखी पीठ, कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश)

2.बगलामुखी मंदिर, नलखेड़ा (मध्य प्रदेश)

3.पीतांबरा पीठ, दतिया (म.प्र)

इन मंदिरों में विशेष तांत्रिक अनुष्ठान और यज्ञ होते हैं, खासकर नवरात्रि और गुप्त नवरात्रि में।

क्या माँ बगलामुखी केवल तांत्रिक देवी हैं?

नहीं।
शास्त्रों के अनुसार माँ बगलामुखी केवल तांत्रिक देवी नहीं, बल्कि दिव्य स्तम्भन शक्ति की साक्षात मूर्ति हैं। वे न्याय की स्थापना, शत्रुओं का दमन और धर्म की रक्षा हेतु प्रकट होती हैं। दस महाविद्याओं में उनका स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण और रहस्यमयी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *