आयुर्वेद भारत की एक प्राचीन चिकित्सा प्रणाली है, जो आज के युग में देश और दुनिया में बहुत तेज़ी से लोकप्रिय हो रही है। इसका उद्येश्य शरीर, मन और आत्मा के बीच संतुलन बनाये रखना है, ताकि हम लम्बे समाये तक अच्छा और स्वस्थ जीवन जी सकें। आज के समय में लोग प्राकृतिक उपचारों और टिकाऊ इलाज की तरफ रुख कर रहे हैं, और आयुर्वेद उनके इस रुझान को पूरा कर रहा है। इस लेख के द्वारा हम जानेंगे के आयुर्वेद क्या है और इसके क्या फायदे हैं, इसके मुख्या उपचार और इसे अपने जीवन में कैसे इस्तेमाल करना है इसके बारे में।
आयुर्वेद क्या है ?
आयुर्वेद का मतलब है “जीवन का ज्ञान”। आयुर्वेद संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है ‘आयु’ (जीवन) और ‘वेद‘ (ज्ञान)। आयुर्वेद का इतिहास लगभग 3000 से 5000 साल पुराना है और इसका वर्णन वेदों में भी किया गया है। आयुर्वेद का श्रेय धन्वंतरि को दिया जाता जिन्हे देवताओं का चिकित्सक माना जाता है, उन्होंने इस ज्ञान को ब्रम्हा से प्राप्त किया। आयुर्वेद तीन दोषों पर आधारित है जिन्हें – वात्त, पित्त और कफ कहा जाता है, हर एक व्यक्ति में इनका रेश्यो अलग अलग होता है और स्वस्थ रहने के लिए इनका संतुलन बना रहना बहुत ज़रूरी होता है।
आधुनिक युग में आयुर्वेद के लोकप्रिय होने का कारण
आज लोग जागरूक हो गए हैं और वह दवाइओं और उनके साइड इफेक्ट्स से बचने के लिए आयुर्वेद की तरफ रुख कर रहे हैं। केवल भारत में ही नहीं बल्कि आयुर्वेद पूरे विश्वभर में प्रसिद्द हो रहा है। आयुर्वेद प्राकृतिक तत्वों के माध्यम से उपचार करता है जिसके कारण हम सुरक्षित तरीके से स्वस्थ रह सकते हैं।
शारीरिक और आतंरिक स्वस्थ्य: आयुर्वेद शीरीरिक के साथ साथ हमारे मानसिक और आत्मिक स्वस्थ्य पर भी ध्यान देता है। जड़ी बूटियों, मसलों और प्राकृतिक औषद्धियों के द्वारा यह हमारे शरीर को स्वस्थ रखता है, योग और प्राणायाम से यह हमारे मानसिक स्वस्थ्य का ध्यान रखता और ध्यान के माध्यम से यह हमारे आतंरिक रूप से स्वस्थ रखता है।
आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सा: आज के समय में कई डॉक्टर् आयुर्वेदिक और एलोपैथिक दवाइओं का मिश्रण बनाके उसे इलाज में इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे उन्हें बेहतर रिजल्ट्स देखने को मिल रहे हैं खासकर पाचन, दर्द और मानसिक समस्याओं में।
वैज्ञानिक शोध का समर्थन: वैज्ञानिकों द्वारा आयुर्वेदिक औशाद्धिओं जैसे हल्दी, त्रिफला और अश्वगंधा पर कई परिक्षण हुए जो यह साबित करता है की इनके कई लाभ हैं। यह परिक्षण आयुर्वेद को और भी भरोसेमंद बनाते हैं।
पर्यावरण स्वास्थय देखभाल: आयुर्वेद में उपचार के लिए प्राकृतिक तत्वों का इस्तेमाल किया जाता है जिसके कारण हम लम्बे समये तक स्वस्थ रह सकते हैं।
आयुर्वेदिक उपचार
दिनचर्या: सुबह का समय पूरे दिन का सबसे ज़रूरी हिस्सा है, सुबह उठके गुनगुना पानी पीना, तेल खींचना (आयल पुल्लिंग) और जीभ को साफ़ करना जैसे अभ्यास करने से शरीर स्वस्थ, शुद्ध और संतुलित रहता है।
त्वचा और सौंदर्य: आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ीबूटियों और तेलों का इस्तेमाल त्वचा के प्रकार को देखकर किया जाता है। उदहारण के तौर पर जैसे गुलाबजल पित्त दोष को संतुलित करता है और तिल का तेल वात्त के दोष को संतुलित करता है।
आहार की आदतें: आयुर्वेद यह सलाह देता है के भोजन को दोषों और मौसम के अनुसार खाना चाहिए। हल्दी, अदरक, जीरा जैसे मसाले पाचन को ठीक रखते हैं और स्वस्थ रहने में मदद करते हैं।
योग और ध्यान: रोज़ ध्यान लगाने से और योग करने से हमारा मानसिक और शारीरिक संतुलन बना रहता है।
साइंस द्वारा समर्थित लाभ
हल्दी और सूजन: हल्दी एक बहुत प्रमुख आयुर्वेदिक औषद्धि है जो एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण से भरपूर है, और यह सूजन को काम करता है, रोगों से लड़ने की शक्ति देता है और शरीर को कई तरह से बचता है।
अश्वगंधा और तनाव: अश्वगंधा मानसिक तनाव को काम करने में और नींद लाने में बहुत सहायक होता है। इसे एडाप्टोजेन भी कहा जाता है जोजो तनाव, थकान और चिंता को दूर करने में मदद करता है।
ध्यान और मानसिक स्वस्थ्य: ध्यान को मानसिक तनाव काम करने में सबसे लाभदायक माना गया है। ध्यान तनाव, चिंता को काम करता है और मानसिक स्पष्टता को बढ़ता है, वैज्ञानिक भी ध्यान यानि मैडिटेशन सबसे ज़ादा प्रभावशाली मानते हैं।
पाचन में सुधार: पाचन को आयुर्वेद में बहुत महत्व दिया गया है। सौंफ, जीरा, धनिया जैसे मसाले पाचन को बेहतर बनाने में बहुत लाभकारी होते हैं और पूरे स्वास्थय को संतुलित रखते हैं।
आयुर्वेद अपनाने के आसान तरीके
दोष की पहचान: आयुर्वेद को अपनाने के लिए सबसे पहले अपने दोष (वात्त, पित्त और कफ) का पता करना ज़रूरी है। यह आप अपने नज़दीकी आयुर्वेदिक डॉक्टर से पता कर सकते हैं या ऑनलाइन भी टेस्ट कर सकते है।
सरल जड़ीबूटियां अपनाएं: हल्दी, अदरक, अश्वगंधा जैसी जड़ीबूटियां अपनाएं, यह रोगों से लड़ने में, मानसिक तनाव दूर करने में और पाचन ठीक रखने में लाभदायक होती हैं।
भोजन में बदलाव: ताजा और गर्म भोजन खाएं आयुर्वेद में यही सलाह दी जाती है, प्रोसेस्ड खाना खाने से बचें, और मौसम के हिसाब से खाना खाएं।
सरल आयुर्वेदिक अभ्यास: हर्बल चाय पीना, तेल खींचना, तिल के तेल की मालिश करना ये छोटी छोटी चीज़े शरीर को स्वस्थ एवं संतुलित रखने में मदद करती है।
ध्यान का अभ्यास: आयुर्वेद में ध्यान लगाने को खास महत्व दिया गया है, रोज़ाना ध्यान लगाने से, प्रकृति में घूमने से, गहरी सांस लेने से मानसिक शान्ति मिलती है, तनाव से रहत मिलती है और मन संतुलित रहता है।
निष्कर्ष
आयुर्वेद आज अभी उतना ही ज़रूरी है जितना आज से हज़ारों साल पहले था। लोग धीरे धीरे समझने लगे हैं के प्रकृति द्वारा बनायीं गयी औषद्धियाँ हमारे शारीरिक और मानसिक स्वस्थ्य को बनाये रखने के लिए कितनी ज़रूरी है। चाहे आप मानसिक रूप से शांति चाहते हों, या पूरे शरीर की देखभाल चाहते हों, प्रकृति की तरफ आपकी रूचि है या प्राकृतिक औषद्धियों को अपनाना चाहते हों, आयुर्वेद हर पहलु में आपके लिए मददगार साबित हो सकता है।