हिंदू धर्म में 6 शास्त्र कौन से हैं?

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हिंदू धर्म में शास्त्रों का विशेष महत्त्व है। ये शास्त्र धार्मिक, आध्यात्मिक और नैतिक मार्गदर्शन के प्रमुख स्रोत माने जाते हैं। मुख्यतः हिंदू धर्म के 6 प्रमुख शास्त्र हैं, जिनका अध्ययन जीवन को सही दिशा देने के लिए आवश्यक माना जाता है। ये हैं:

  1. वेद
    चार वेद (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद) हिंदू धर्म के सबसे प्राचीन और महत्वपूर्ण शास्त्र माने जाते हैं। इनमें यज्ञ, मंत्र, और प्राकृतिक शक्तियों की उपासना के बारे में विस्तार से बताया गया है। ऋग्वेद में देवताओं की स्तुति, यज्ञ और मंत्रों के बारे मे बताया गया है। यजुर्वेद यज्ञ की विधियों और अनुष्ठानों पर प्रभाव डालता है। साम वेद संगीत और गायन शैली का मुख्य जड़ है। अथर्ववेद में जादू-टोने, औषधि विज्ञान, और आयुर्वेद से संबंधित जानकारी उपलब्ध है। वेद केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं होते हैं, किन्तु इनमें विज्ञान, खगोलशास्त्र, और चिकित्सा जैसे विषयों की भी गूढ़ समझ दी गई है। वेदों का अध्ययन जीवन को बेहतर समझने मे मदद करता है|
  1. स्मृति
    स्मृति शास्त्रों में ‘मनुस्मृति’ और ‘याज्ञवल्क्य स्मृति’ प्रमुख हैं। ये धर्म के सामाजिक नियमों, नैतिकता और आचार-विचार पर आधारित होते हैं, जिन्हें समयानुसार मानव जीवन के लिए मार्गदर्शक माना जाता है। ये शास्त्र आज भी समाज में सही और गलत की पहचान और नैतिकता के पैमाने के रूप में उपयोगी हैं। स्मृतियों का उद्देश्य समाज में अनुशासन और संतुलन बनाए रखना है।
  1. पुराण
    पुराणों में हिंदू धर्म की कथाएँ और देवताओं की गाथाएँ विस्तार से बताई गई हैं। 18 प्रमुख पुराण हैं, जिनमें विष्णु पुराण, शिव पुराण और भागवत पुराण प्रमुख हैं। इनका उद्देश्य धार्मिक शिक्षाओं को कहानियों के माध्यम से सरल रूप में प्रस्तुत करना है। कहानियों के माध्यम से न केवल बच्चों किन्तु बड़ों को भी धर्म और नैतिकता का पाठ पढ़ाती हैं।
  1. धर्मशास्त्र
    धर्मशास्त्र जीवन में धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष जैसे पुरुषार्थों के सिद्धांतों को समझाते हैं। इसमें विवाह, गृहस्थ जीवन, और समाज में आचरण की विधियाँ बताई जाती हैं। इन शास्त्रों में विवाह, गृहस्थ जीवन, और समाज की बाते विस्तार से बताई गई हैं। धर्मशास्त्र मानव को सही और गलत के बीच अंतर कर, एक संतुलित जीवन बिताने मे मदद कर्ता है । गृहस्थ जीवन के बारे में बताई बातो को आज भी कई परिवारों में माना जाता हैं।
  1. न्यायशास्त्र
    न्यायशास्त्र तर्क और विवेक पर आधारित शास्त्र है। यह सही और गलत के निर्णय की विधि को समझाता है और जीवन के हर पहलू में न्याय को महत्व देता है। इस शास्त्र में तर्कशक्ति और न्यायिक व्यवस्था का विशेष उल्लेख है।न्यायशास्त्र तर्क और विवेक पर आधारित है। यह हमें सही और गलत का निर्णय करने की क्षमता प्रदान करता है। इस शास्त्र में 16 तत्त्वों का वर्णन किया गया है| न्यायशास्त्र हमें यह सिखाता है कि किसी भी निर्णय को तर्क और प्रमाण के आधार पर कैसे किया जाता है |
  1. अर्थशास्त्र
    यह शास्त्र राज्य और प्रशासन से संबंधित है। चाणक्य द्वारा रचित ‘अर्थशास्त्र’ सबसे प्रमुख ग्रंथ माना जाता है, जिसमें राजकाज, अर्थनीति, राजनीति, और युद्ध नीति से संबंधित ज्ञान दिया गया है। यह शास्त्र केवल राजा या फ़िर् प्रशासक के लिए ही नहीं, किन्तु सामान्य नागरिक के लिए भी उपयोगी है। इसमें व्यापार, कृषि, और वित्त प्रबंधन की विधियाँ भी बताई गई हैं। यह शास्त्र आधुनिक जीवन में भी उपयुक्त है, खासकर आर्थिक और प्रबंधन के क्षेत्रों में।

इन 6 शास्त्रों का अध्ययन व्यक्ति को धार्मिक, सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन में मार्गदर्शन देता है।

अंत में, हिंदू धर्म के शास्त्रों का अध्ययन न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक समझ प्रदान करता है, बल्कि यह सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन के हर पहलू को दिशा देने में भी सहायक है। ये शास्त्र हमारे आचार-विचार, नैतिकता और न्याय के मूल सिद्धांतों को उजागर करते हैं, जिससे जीवन को सही और सार्थक दिशा मिलती है। इनकी शिक्षा हमारे समग्र विकास और संतुलित जीवन की कुंजी है।

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