
शूलिनी माता मंदिर (Shoolini Mata Mandir ) सोलन शहर में शीली मार्ग पर स्थित है। मान्यता है कि शहर का नाम इसी माता शूलिनी के नाम पर पड़ा है, जो सोलन की अधिष्ठात्री देवी हैं। माता शूलिनी को देवी दुर्गा का स्वरूप और भगवान शिव की शक्ति माना जाता है। ऐतिहासिक दृष्टि से यह क्षेत्र कभी बघाट रियासत की राजधानी हुआ करता था, जिसकी नींव राजा बिजली देव ने रखी थी। बारह घाटों से मिलकर बने इस रियासत का आरंभिक राजधानी जौणाजी हुआ करता था, बाद में कोटी और अंततः सोलन बनी, और राजा दुर्गा सिंह अंतिम शासक थे।
माँ शूलिनी की पौराणिक कथा और महिमा || Maa Shoolini: Mythology & Significance

पुराणों के अनुसार माता शूलिनी का प्राकट्य भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार से जुड़ी एक दिव्य कथा से हुआ था। जब भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप का वध किया, तब विष्णु का नारसिंह रूप भयंकर क्रोध में था और सम्पूर्ण ब्रह्मांड के लिए संकट बन चुका था। देवताओं के आग्रह पर भगवान शिव ने शरभ (अष्टपाद रूप) धारण किया और भगवान विष्णु को शांत किया। इसी शरभावतार के दाहिने पंख से देवी पार्वती का प्राकट्य हुआ, जिनका नाम शूलिनी रखा गया। वे काली या दुर्गा का भी रूप हैं और त्रिशूलधारी होने के कारण इनका नाम शूलिनी पड़ा। इन्हीं पौराणिक मान्यताओं के कारण शूलिनी माता को त्रिशूलधारी देवी माना जाता है और इन्हीं कथाओं के आधार पर माता शूलिनी की पूजा यहाँ सदियों से हो रही है।
माँ शूलिनी मंदिर परिसर और देवी-देवता || Maa Shoolini Temple Premises and Deities

मंदिर के गर्भगृह में माँ शूलिनी की मुख्य प्रतिमा विराजमान है, जिसके साथ ही उनके परिवार की अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियाँ भी स्थापित हैं। मान्यता है कि माँ शूलिनी की छह अन्य बहनें हैं – हिंगलाज देवी, लुगासनी देवी, जेठी ज्वाला जी, नाग देवी (जो काली का एक स्वरूप हैं), नैना देवी और तारा देवी। इन सभी को भी दुर्गावतार माना जाता है। मंदिर परिसर में सिरगुल महाराज और माली देवता की भी बड़ी प्रतिमाएँ हैं, जिनकी पूजा श्रद्धालु विधि-विधान से करते हैं। स्थानीय परंपरा के अनुसार श्री देवी की पूजा-पाठ इसी मंदिर परिवार के मुखी पुजारियों द्वारा पीढ़ी दर पीढ़ी लगभग 300 वर्षों से अनवरत निभाया जा रहा है।
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शूलिनी मेला माँ शूलिनी की शोभायात्रा और भव्य उत्सव || Shoolini Mela Solan

प्रति वर्ष जून माह के अंतिम सप्ताह में यहाँ भव्य शूलिनी मेला आयोजित होता है। यह तीन दिवसीय उत्सव जिलेभर में प्रसिद्ध है। मेले के पहले दिन माँ शूलिनी की शोभायात्रा निकाली जाती है, जिसमें माता की पालकी पूरे नगर में चलायी जाती है। पालकी का अंतिम गंतव्य गणबाजार में स्थित माँ दुर्गा का मंदिर होता है (जिसे देवी की बड़ी बहन माना जाता है), जहाँ माता शूलिनी तीन दिन ठहरती हैं। इन तीन दिनों तक सोलन में मेले जैसा उत्सव चलता है, जिसमें सांस्कृतिक संध्या, लोक गीत-संगीत व कुश्ती जैसे आयोजन होते हैं। अन्तिम दिन माँ की पालकी वापस मुख्य मंदिर लायी जाती है और तीसरे दिन रात्रि में माँ शूलिनी की पालकी अपने मूल स्थान पर विराजित की जाती है। इस मेले में दूर-दराज से हजारों श्रद्धालु सम्मिलित होते हैं, और बड़े पैमाने पर भंडारे एवं मेलों का आयोजन रहता है।
शूलिनी माता मंदिर में मूर्तियों की चोरी की घटना
शूलिनी माता मंदिर में वर्ष 2008 में एक दुर्भाग्यपूर्ण चोरी हुई थी। अप्रैल महीने में मंदिर के गर्भगृह से देवी माँ की दो शताब्दियों पुरानी अष्टधातु (आठ धातुओं से निर्मित) की मूर्तियाँ चोरों ने चोरी कर ली थीं। इसके बाद मई 2013 में भी मंदिर से पाँच मूर्तियाँ, चांदी के तीन छत्र और माँ शूलिनी के एक नेत्र (नैत्र) चोरी हुए, जिनकी कुल कीमत लगभग 2.50 लाख रुपये बताई गई थी; पुलिस ने स्थानीय लोगों की मदद से ये मूर्तियाँ बरामद कर ली थीं। अप्रैल 2018 में भी एक किशोर ने मंदिर में चोरी की कोशिश की, जिसे सतर्क पुजारी और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई से मौके पर ही पकड़ लिया गया। इन दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के बावजूद भक्तों का विश्वास माँ शूलिनी की महिमा पर अडिग है; देवी दुर्गा का स्वरूप होने के नाते माँ शूलिनी ज्ञान, बुद्धि, सृजन और संरक्षण की देवी हैं।तथा संकटमोचक शक्ति स्वरूप मानी जाती हैं। श्रद्धालु मानते हैं कि माँ शूलिनी अपने भक्तों की रक्षा करती हैं और मंदिर की पवित्रता सदैव सुरक्षित रखती हैं।
माँ शूलिनी मंदिर: कैसे पहुंचे और दर्शन समय || Maa Shoolini Temple How to Reach & Timings

शूलिनी माता मंदिर आम दिनों में सुबह 6:00 बजे से रात 10:00 बजे तक श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है। नवरात्रि के दौरान दर्शन काल सुबह 5:00 बजे से बढ़ाकर रात 11:00 बजे कर दिया जाता है। मंदिर सोलन स्टेशन से लगभग 1.5 कि.मी. दूर शीली रोड पर स्थित है। निकटवर्ती हवाई अड्डा चंडीगढ़ (लगभग 65 कि.मी.) है और सड़क मार्ग से यहाँ हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला तथा चंडीगढ़ से नियमित बसें मिल जाती हैं। पारंपरिक पहनावा अपेक्षित है और दर्शन के पूर्व जूते निकालकर रखने की परंपरा है।
सोलन जिले के प्रमुख तीर्थ स्थल || Major Pilgrimage Sites of Shimla District
- मोहन शक्ति हेरिटेज पार्क
- काली का टिब्बा – Chail
- जाटोली शिव मंदिर
- लुटरू महादेव मंदिर
