हाटू माता मंदिर (hatu mata temple) शिमला शहर से लगभग 68 किलोमीटर दूर और नारकंडा से मात्र 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर माता काली को समर्पित है। यहाँ की खूबसूरती घने वनों और शांत वातावरण में बसती है।
हाटू माता मंदिर केवल एक तीर्थ स्थल ही नहीं, बल्कि हिंदू पौराणिक कथाओं—विशेष रूप से रामायण और महाभारत—से अपने गहरे संबंध के कारण भी प्रसिद्ध है।

हाटू माता मंदिर का निर्माण || Hatu Mata Temple Construction
मान्यता है कि हाटू माता मंदिर (hatu mata temple) का निर्माण रावण की पत्नी मंदोदरी ने कराया था। वे माता की परम भक्त थीं और नियमित रूप से उनके दर्शन के लिए यहाँ आया करती थीं। माता के आशीर्वाद से प्रेरित होकर ही उन्होंने पहाड़ की ऊँची चोटी पर इस भव्य मंदिर का निर्माण करवाया। परंपराओं के अनुसार मंदिर की स्थापना ज्येष्ठ महीने के पहले रविवार को हुई थी।
मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथाएँ
कहा जाता है कि अज्ञातवास के समय पांडव एक वर्ष तक इस स्थान पर रहे थे और यहाँ निवास करते हुए उन्होंने माता काली को समर्पित एक मंदिर का निर्माण किया।
एक अन्य मान्यता यह भी है कि स्वर्गारोहण के मार्ग में द्रौपदी हिमालय की एक पर्वत चोटी से गिर गई थीं और यहीं उन्होंने अपनी अंतिम साँस ली थी। उनके प्राण त्याग के उपरांत इस मंदिर की स्थापना की गई थी। आज भी मंदिर के अंदर एक पत्थर पर द्रौपदी की प्रतिमा के दर्शन किए जा सकते हैं।
हाटू माता मंदिर के पास भीम का चूल्हा

हाटू माता मंदिर (hatu mata temple) से थोड़ी दूरी पर तीन विशाल चट्टानें दिखाई देती हैं। मान्यता है कि इन्हें भीम का चूल्हा कहा जाता है। माना जाता है कि अज्ञातवास के दौरान पांडव यहाँ रुके थे और भोजन भी यहीं बनाया था। कहा जाता है कि इन चट्टानों पर बड़े-बड़े बर्तन रखकर भीम खाना पकाते थे।
इन चट्टानों के आकार को देखकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि उस समय के लोग, विशेषकर पांडव, कितने बलवान रहे होंगे, जो इतनी बड़ी चट्टानों पर इतने विशाल बर्तनों में भोजन बनाते थे। आश्चर्य की बात यह है कि यहाँ जब भी खुदाई की जाती है तो आज भी कोयले के अवशेष निकलते हैं।
हाटू माता मंदिर की अद्भुत वास्तुकला और प्रमुख त्योहार

हाटू माता मंदिर (hatu mata temple) हिमाचली शैली में बना है। इसके निर्माण में मुख्य रूप से लकड़ी का उपयोग किया गया है, साथ ही इसकी सुंदरता बढ़ाने के लिए कांच और मजबूती के लिए पत्थर का उपयोग किया गया है । मंदिर की दीवारों और खंभों पर लकड़ी की बारीक नक्काशी की गई है, जिसमें हिंदू धर्मग्रंथों की कथाएँ उकेरी गई हैं। रामायण और महाभारत जैसी महागाथाओं की झलक इन नक्काशियों में साफ दिखाई देती है। अपनी ऐतिहासिक महत्ता और कलात्मक शैली के कारण यह मंदिर नारकंडा की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक माना जाता है।
प्राचीन समय में मंदिर के पास पशु बलि की प्रथा प्रचलित थी। आज भी स्थानीय लोग मानते हैं कि जो भी भक्त माता हाटू से सच्चे मन से कोई मनोकामना करता है, माता उसकी इच्छा अवश्य पूरी करती हैं।
हाटू माता मंदिर के प्रमुख पर्व
मंदिर में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा पर्व ज्येष्ठ माह का पहला रविवार होता है। इस दिन दूर-दूर से श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए यहाँ पहुँचते हैं। यह त्योहार मंदोदरी के समय से ही मनाया जाता आ रहा है। इसमें भक्ति, अनुष्ठान और सामुदायिक भागीदारी का सुंदर मेल देखने को मिलता है। इस अवसर पर लोग उन्हीं परंपराओं का पालन करते हैं जो मंदोदरी ने शुरू की थीं, जिससे उनकी विरासत और देवी हाटू माता के प्रति गहरा सम्मान प्रकट होता है।
कैसे पहुँचें हाटू माता मंदिर || How to Reach Hatu Mata Temple
सड़क मार्ग द्वारा
हाटू माता मंदिर तक पहुँचने का सबसे आसान और सुविधाजनक तरीका सड़क मार्ग है। यह मंदिर नारकंडा से केवल 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। नारकंडा तक शिमला, चंडीगढ़ और दिल्ली से नियमित बस सेवाएँ उपलब्ध हैं। यहाँ से आप टैक्सी या स्थानीय वाहन लेकर आसानी से मंदिर तक पहुँच सकते हैं। शिमला से नारकंडा की दूरी लगभग 68 किलोमीटर है, जिसे कार या बस द्वारा 3 घंटे में तय किया जा सकता है। रास्ते में आपको देवदार और चीड़ के घने जंगल, बर्फ से ढकी चोटियाँ और खूबसूरत प्राकृतिक दृश्य देखने को मिलते हैं।
रेल मार्ग द्वारा
यदि आप रेल मार्ग से आना चाहते हैं तो सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन कालका रेलवे स्टेशन है, जो हाटू माता मंदिर से लगभग 150 किलोमीटर दूर है। कालका से शिमला तक प्रसिद्ध “कालका-शिमला टॉय ट्रेन” की सवारी की जा सकती है, जो अपने दर्शनीय मार्ग के लिए मशहूर है।
हवाई मार्ग द्वारा
हवाई यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए सबसे नजदीकी हवाई अड्डा जुब्बरहट्टी एयरपोर्ट (शिमला) है, जो मंदिर से लगभग 23 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ से आप टैक्सी या निजी वाहन किराए पर लेकर नारकंडा और फिर हाटू माता मंदिर तक पहुँच सकते हैं।
हाटू माता मंदिर के पास स्थित प्रमुख तीर्थ स्थल: